Yadi Chune Hon Shabd | Nandkishore Acharya
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यदि चुने हों शब्द | नंदकिशोर आचार्य
जोड़-जोड़ कर
एक-एक ईंट
ज़रूरत के मुताबिक
लोहा, पत्थर, लकड़ी भी
रच-पच कर बनाया है इसे।
गोखे-झरोखे सब हैं
दरवाज़े भी
कि आ-जा सकें वे
जिन्हें यहाँ रहना था
यानी तुम।
आते भी हो
पर देख-छू कर चले जाते हो
और यह
तुम्हारी खिलखिलाहट से जिसे गुँजार
होना था
मक़्बरे-सा चुप है।
सोचो,
यदि यह मक़्बरा हो भी तो
किस का?
और ईंटों की जगह
चुने हों यदि शब्द!
426 قسمت